Monday, April 23, 2018

Top 20 in Nutkhat Hindi Paheliyan

1.लाल -लाल पट
गोल -गोल
खाने के समय
हाय -हाय



2.चार चिड़िया
चार रंग
पिंजड़े मे
एक रंग


3.चाँद सा मुखड़ा  तन सा जख्मी ,
बिन पैरो वह चलता है ,
राज दुलारा सब का प्यारा ,
मेहनत से वह मिलता है



4.अन्दर चिलमन , बाहर चिलमन,
बीच कलेजा धडके ,
नाकु सिन्हा यों कहे,
दो -दो अंगुल सरके |



5.भोजन करने मैं चली ,
और भोजन हो गई आप |
मछलियों से कहती गई,
यह भोजन है पाप |



6.धक -धक कर  मैं हूँ  करती ,
फक-फक  धुआं  फेंकती ,
बच्चे बूढ़े  मुझ पर चढ़ते ,
निशानों पर मैं दोड़ती |



7.खड़ा द्वार पर ऐसा घोडा ,
जिसने चाहा पेट मरोड़ा |



8.छोटे से मटकुदास ,
कपड़ा पहने सौ पचास |



9.बीच ताल मे
बसे तिवारी
बे कुंजी की
लगी किवाड़ी  |



10.सीस  कटे तो दल बने
पैर हटाए बाद
पेट निकाले बल हैं |
करो शब्द यह याद |



11.मैं हूँ एक अनोखी रानी ,
पैरो से पीती  हूँ पानी |




12.तुम मेरे पीठ पर बैठो
मैं आकाश घुमाऊगा |


13.दिन मे सोये
रात मे रोये
जितना रोये
उतना खोये




14.शिवजी की जटा मे गंगा का पानी ,
जल का साधू ,बूझो  तो ज्ञानी |



15.मन्दिर मे शीश नवायें ,
मगर राह मे ठुकराये |



16.अगर नाक पर चढ़ जाऊ ,
कान पकड़ कर तुम्हे पढ़ाऊ |



17.काला हूँ  कलूटा  हूँ  ,
हलवा पूरी खिलाता हूँ  |


18.लाल-लाल आँखे
लम्बे -लम्बे  कान
रुई का फुहासा ,
बोलो क्या हैं उसका नाम  ?



19.आई गर्मी, आया मैं
बच्चो के मन  भाया मैं,
गुठली चुसो या फैंको ,
लाल सुनहरा आया मैं  |




20.सिर  पर जिसके कलगी लाल ,
हरी सुनहरी दुम ,
कुकड के करने वाला ,
 बोलो  क्या कहते हो तुम  ?




Friday, April 13, 2018

TOP 15 Best Hindi Pahaliyans

1.महफिल  मे आए हैं दो भाई ,
आते ही उनकी हो गई ठुकाई |
मुख पर लगे तमाचे खाने ,
दोनों लग  गये तन बजाने |


2.हरी- भरी देखो काया ,
चार आखर का नाम हैं पाया |
छुते ही मैं कुम्हला जाती हूं ,
बतलाओ क्या मैं कहलाती हूं |


3.देश मे देखा ,फिर प्रदेश देखा ,
तथा देखा कलकता |
एक अचम्भा  भी हमने देखा ,
पुष्प के उपर पत्ता |


4.एक बगिया मे पुष्प अनेक ,
उन पुष्पों का राजा एक ,
बगिया  मे जब चन्द्रमा आए ,
बगिया चम-चम कही -खिल जाए | |


5..एक  व्रक्ष के दो तने ,
दो शाखाये दस   फलियाँ|
वचित्र तमाशा इसको  मानो ,
घुमे ये सडके और गलियाँ



6.देखने वाला उसे पहन न पाए ,
पहनने वाला उसे देख न पाए |
इस अजीब वस्तु का नाम बताओ
अक्लमंद  होने का सबूत पाओ |


7.लगती ,खुलती हूँ  और मैं ,
होती हूँ चार |
मैं नही रहूँ तो जग मे लगता ,
सब कुछ  बेकार |


8.मोती की वह फसल काटता ,
उठ कर ही बड़े सवेरे |
और शाम को को वह समेटता,
फिर अपने सारे डेरे  |


9.ज्वालामुखी  संसार का मैं ही ;
सबसे बड़ा हूँ  भाई  |
नाम बताओ मेरा तो जाने ,
हवा , बीच मे आई |



10.हाथ मे रहे  हरा -हरा वह ,
मुख मे जा हो जाए लाल |
नही मिठाई ,नही  वह फल  हैं ,
जो जाने वह बोले तत्काल |


11.तीन - चार घेरो की हैं चकरी ,
पीला उसका हैं रंग |
पोर -पोर है उसका रस मे भीगा ,
खाओ तो दूध  के संग  |


12.एक विचित्र  लकड़ी देखी ,
जिसमे छिपी मिठाई ,
शीघ्र नाम बताकर
उसका जीभरकर करो चुसाई |


13.खड़ी -खड़ी मैं शरीर  जलाऊ ,
खड़ी -खड़ी मैं दे दू  अपनी जान ,
अन्धयारे मे हर घर -दुकान मे ,
आता है सब को ध्यान  |



14.बहार उजली , भीतर काली ,
कागज की एक नाली हूँ  |
स्वास्थ्य को कर देती चोपट ,
लत इसी मैं लगाने वाली हूँ मैं |


15.छज्जे पर बैठा है वह ,
गाता वह गाना |
भोला है, भीरु भी है,
खाता है वह दाना  |




Monday, April 2, 2018

Top 15 in Latest Hindi Pahaliyan

1.एक है कोठरी हर घर मे ,
कही न बिस्तर पाए  |
पानी शीश से गुजरता है ,
चेतत है कोई नाहि |


2.एक कथा मै कहू
सुन रे मेरे पूत !
बिना प्राण के उड़ चला ,
बांध गले मे अपने सूत


3.तीन अख़बार का मेरा नाम ,
सबसे ऊँचा  है मेरा मान  |
बीच कटे तो रहू  पड़ी ,
शुरू कटे तो बस गडी |


4.हाथ बांधा ,पावं बांधा ,
मुख को भी दीया बांध |
दो थाल दोनों बंधे ,
बंधे से बचे नही कांध |


5.हला जाए,वापिस नही आए.
जाता  हुआ भी ,दिख नही पाए |
हर कोई उसके गुण पाए ,
वही हमेशा बलवान कहाए | |


6.हमने देखा एक खजाना
लुट सके कोई जिसको ना |
दोनों हाथ से जो भी बांटे
ये दौलत तो बढती जाए |


7.आता है सुबह ,
शाम को जाता है|
कभी नही घर ,
का पता बताता | |


8.शीश कटे तो बचत है |
सिर्फ वामे हाड ,
धड काटो तो फिर पड़ जाए |
ऊँचा नो -दस का ताड


9.यु तो हूँ बेजान वस्तु मैं
न पीती हूँ न खाती हूँ |
फिर भी कोई करे पिटाई ,
तो दिल भर चिल्लाती  हूँ | |


10.पानी पीते ढल  जाए उम्र ,
हवा पाये पल जाए |
पके हुए सेब सा रंग ,
तथा रवि- सा तेज सुहाए |



11.मेरे सामने जो भी आवे ,
अपनी ही सुरत पावे |
बुद्धिमान  मानु मैं उसको ,
जो भी मेरा नाम बतावे |



12.देखी एक विचित्र  वर्षा ,
हाथी खड़ा हुआ  नहाये |
बहे नही पानी प्यास बुझे  ना ,
जमीन भीगी जाये |


13.बतलाओ क्या है नाम मेरा ,
स्त्री मुझसे करे श्रंगार |
छाया रहूं उनके अधरों पर ,
पर नही बनू  कभी आहार |



14.पावं नही भागा जाए ,
घोड़े को भी हरा के आए |
पूरा जग उससे भय खाए ,
कर के पूजा उसे मनाए|


15.काली -काली है उसकी वर्दी ,
धीमी है उसकी चाल |
हर भवन मे वह फिरे घूमता ,
जैसे हो कोई कोतवाल |